Srijan
सोमवार, 10 मार्च 2025
भींगी हुई पलके
पल पल और प्रतिपल
भावनाएं छलके
आंसू के भीतर
भींगी हुई पलके
कभी दिल ये हारी
कभी होती भारी
खुशी इसके भीतर
कभी दुख झलके
कभी घुप्प अंधेरा
खामोशियां है
कभी चुप सवेरा
थकी पेशियां है
कभी दिन अधूरे
भरी दोपहर तक
कभी होली खेली
मदहोशीया है
1 टिप्पणी:
Priyahindivibe | Priyanka Pal
24 मार्च 2025 को 5:27 am बजे
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