शुक्रवार, 28 मार्च 2025

कहा गए है पद्य

छंदों से है हुआ विसर्जन
कविता सुंदरतम
सृजन से हर प्यास बुझी है 
पद्य है सर्वोत्तम

कविता अब उन्मुक्त हुई 
कवित हुआ गद्य
जोरो से खूब शोर हुआ 
कहा गए है पद्य

हर पल अब लालित्य कहेगा
पढ़ लो गद्य निबंध
जीवन में न क्षोभ रहेगा 
फैली ऐसी सुगंध

छंदों का न अंत मिला है
मिली न अब तक थाह
कविता देती कर्म प्रखर
जीवन का उत्साह

जहा भाव का भेद रहा
वहा नहीं कल्याण 
होता है अब बहुत कठिन 
छंदों का निर्माण

जिस पर सारा कोष लुटा है 
प्रज्ञा का वरदान
उसने ललित गद्य लिखे है
गद्य है पद्य समान 

कविता होती शुद्ध कुलीन 
कविता भाव प्रधान 
कविता दोहा गीत रही 
नवगीत का अवदान


कविता निकली शुद्ध हृदय 
हृदय का कमल
कविता केवल भाव नहीं 
कवि का है कौशल







2 टिप्‍पणियां:

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