छंदों से है हुआ विसर्जन
कविता सुंदरतम
सृजन से हर प्यास बुझी है
पद्य है सर्वोत्तम
कविता अब उन्मुक्त हुई
कवित हुआ गद्य
जोरो से खूब शोर हुआ
कहा गए है पद्य
हर पल अब लालित्य कहेगा
पढ़ लो गद्य निबंध
जीवन में न क्षोभ रहेगा
फैली ऐसी सुगंध
छंदों का न अंत मिला है
मिली न अब तक थाह
कविता देती कर्म प्रखर
जीवन का उत्साह
जहा भाव का भेद रहा
वहा नहीं कल्याण
होता है अब बहुत कठिन
छंदों का निर्माण
जिस पर सारा कोष लुटा है
प्रज्ञा का वरदान
उसने ललित गद्य लिखे है
गद्य है पद्य समान
कविता होती शुद्ध कुलीन
कविता भाव प्रधान
कविता दोहा गीत रही
नवगीत का अवदान
कविता निकली शुद्ध हृदय
हृदय का कमल
कविता केवल भाव नहीं
कवि का है कौशल
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंसुंदर सृजन, जहा वहा कुछ खटक रहे हैं
जवाब देंहटाएं