मंत्रों से कब मोक्ष मिला
शब्दों से कब छंद
संवेदना जब साथ रही
अदभुत हुए प्रबंध
सुन लो समझो जान लो
शब्दों के भावार्थ
जिसने सीखा जिया वही
जीवन का यथार्थ
करुणा और क्रंदन के गीत यहां आए है सिसकती हुई सांसे है रुदन करती मांए है दुल्हन की मेहंदी तक अभी तक सूख न पाई क्षत विक्षत लाशों में अपन...
सुंदर भावार्थ !
जवाब देंहटाएंDhanyawad
हटाएंबहुत सुंदर
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