Srijan
गुरुवार, 27 मार्च 2025
रहे हौसले तो बदलेगी ये दिन
सुखद और दुखद पल
नदी ने जिया है
रेतीली डगर पर
सफर तय किया है
बिखरते हुए पल
फिर भी न बिखरी
दिया जग को अमृत
जहर खुद पिया है
नदी के किनारे
ओझल हो मुमकिन
मिले न सहारे
हो कठिनाई अनगिन
अंधेरे में दीपक
बनकर जलेंगे
रहे हौसले तो
बदलेंगे ये दिन
3 टिप्पणियां:
Priyahindivibe | Priyanka Pal
27 मार्च 2025 को 9:42 am बजे
नदी प्यारी नदी !
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rajendra sharma
27 मार्च 2025 को 10:04 am बजे
Dhanyawad
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Anita
27 मार्च 2025 को 10:04 pm बजे
सुंदर सृजन
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जवाब देंहटाएंDhanyawad
जवाब देंहटाएंसुंदर सृजन
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