मूर्ति में प्राण
प्राणों के भीतर तुम
 भर लो मुस्कान
मीरा और सूर ने भी 
छेड़ी थी तान
कान्हा की भक्ति है
 राधा गुमनाम
मन कितना मैला है
 मैला इन्सान
मैले में खेला है
 पप्पू शैतान
धन कितना तुम पा लो
पर गम को सम्हालो
 प्याले में हाला है 
करना विषपान
तुमने जो पाया है 
सब कुछ वह गाया है
काया ही माया है 
जीवन वरदान
 
 
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