बुधवार, 18 नवंबर 2020

करना विषपान

मन्दिर में मूर्ति है
 मूर्ति में प्राण
प्राणों के भीतर तुम
 भर लो मुस्कान

मीरा और सूर ने भी 
छेड़ी थी तान
कान्हा की भक्ति है
 राधा गुमनाम

मन कितना मैला है
 मैला इन्सान
मैले में खेला है
 पप्पू शैतान

धन कितना तुम पा लो
पर गम को सम्हालो
 प्याले में हाला है 
करना विषपान

तुमने जो पाया है 
सब कुछ वह गाया है
काया ही माया है 
जीवन वरदान

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न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज