जब भी उनसे बात हुई , बिगड़े है हालात
जितने उनके साथ रहे , हम उतने परिचित
उतना ही अलगाव रहा, उतने ही विचलित
जितने अन्तर्बन्ध रहे ,उतने रहे प्रबंध
दोहरेपन ने छीन लिये, सामाजिक संबंध
रिश्तो पर है गाज गिरी, स्वारथ की विष बैल
हम सबने है खेल लिये , ओछे ओछे खेल
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