जो मूल से है भाग रहा
वो कैसे मौलिक
तू मूक जन की पीड़ा को
अपने दम पर लिख
उनको मिलते लक्ष्य नये
जो आलस से दूर
सूरज के है पुत्र रहे
उर्जा से भरपूर
गुमनामी के साथ जिये
होते न मशहूर
जिनके कर्मठ हाथ रहे
मेहनतकश मजदूर
जिनका अपना कोई नही
उनके गिरधर राम
गोवर्धन को लिए खड़े
लेकर वे ब्रजधाम
ऊँची ऊँची हाँक रहे
कुछ बौने से लोग
नैतिकता का दम्भ भरे
जिन पर है अभियोग
सुन्दर
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 02 दिसंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
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