बाहर से कुछ और रहे, भीतर से कुछ और
बदले उनके भाव रहे , बदले है तेवर
घर पर जब है रेड डली , कितने है जेवर
जितना उठता भाव रहा, उतना ऊँचा मूल्य
सस्ती केवल जान रही , मानव पशु समतुल्य
सीता में है सत्य रहा, सत्य पथिक है राम
सच्चाई का कोई नही , केवल है हनुमान
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