शनिवार, 21 नवंबर 2020

रहा झूठ पर जोर

कथनी करनी भिन्न रही , रहा झूठ पर जोर
बाहर से कुछ और रहे, भीतर से कुछ और

बदले उनके भाव रहे , बदले है तेवर
घर पर जब है रेड डली , कितने है जेवर

जितना उठता भाव रहा, उतना ऊँचा मूल्य
सस्ती केवल जान रही , मानव पशु समतुल्य

सीता में है सत्य रहा, सत्य पथिक है राम
सच्चाई का कोई नही , केवल है हनुमान

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज