खतरे में सम्वाद रहे ,अपने होते गैर
बस्ता और स्कूल रहा, बच्चा है गणवेश
शिक्षा रोटी भूख हुई, शिक्षक है उपदेश
हर घर मे दुकान हुई , शिक्षा कारोबार
जितने स्कूल रोज खुले, उतना बंटाधार
शिक्षा भी बदनाम हुई , शिक्षित बेरोजगार
अपने हक को मांग रहे, खेती न व्यापार
पुस्तक कूड़ेदान मिली, ज्ञान हुआ गुमनाम
ज्ञानी जन तो मूर्ख हूए, मूर्ख बने विद्वान
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 23 नवंबर नवंबर नवंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंहर घर मे दुकान हुई , शिक्षा कारोबार
जवाब देंहटाएंजितने स्कूल रोज खुले, उतना बंटाधार..।सुंदर और सटीक प्रस्तुति..।
गुमनाम व विद्वान ?
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