साहस से है धैर्य बड़ा, धैर्यवान बलवान
निष्ठुर सा व्यवहार रहा ,पत्थर से है भाव
पत्थर सा इन्सान मिला , घावों पर फिर घाव
दिखता था माधुर्य यहाँ , कोमल सा व्यवहार
ऐसे भी थे लोग भले, जो चले गये भव पार
लेखन में वो धार नही , लेखन नही कटार
सिहासन न डोल रहा, साहस की दरकार
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