संशय से जो शून्य रहा, ऐसा एक नास्तिक
जगमग जगमग दीप्त रहे ,सच्चाई की आस
अच्छाई में खोट नही , सचमुच का संन्यास
सत के पथ पर शूल मिले ,मिले नही है फूल
झूठ के होते नाट्य नवीन ,झूठ के है स्कूल
उनका अपना मूल्य रहा, उनके है विश्वास
दृष्टि उनकी बोल रही, वे उनके है खास
उनके अपने तौर तरीके ,अपना है व्यवहार
सुधरा अब न चाल चलन , कैसे करे सुधार
सुन्दर
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