मंत्रों से कब मोक्ष मिला
शब्दों से कब छंद
संवेदना जब साथ रही
अदभुत हुए प्रबंध
सुन लो समझो जान लो
शब्दों के भावार्थ
जिसने सीखा जिया वही
जीवन का यथार्थ
खुली नहीं खिड़की दरवाजे बन्द है जीवन में बाधाएं किसको पसन्द है कालिख पुते चेहरे हुए अब गहरे है गद्य हुए मुखरित छंदों पर प्रतिबंध है मिली...
सुंदर भावार्थ !
जवाब देंहटाएंDhanyawad
हटाएंबहुत सुंदर
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