Srijan
मंगलवार, 18 मार्च 2025
तारो से कितने बिन्दु
चमके नभ पे अंधियारे में
तारो से कितने बिन्दु
नीला सा उन्मुक्त गगन है
नीला नीला है सिन्धु
पीड़ाएं तन मन की हरती
चिड़िया से चहकी यह धरती
कुदरत रानी खिली हुई है
खिला हुआ नभ पर इंदु
2 टिप्पणियां:
Anita
18 मार्च 2025 को 9:38 pm बजे
सुंदर सृजन
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Priyahindivibe | Priyanka Pal
23 मार्च 2025 को 10:29 pm बजे
सुंदर मनमोहक
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