चमके नभ पे अंधियारे में
तारो से कितने बिन्दु
नीला सा उन्मुक्त गगन है
नीला नीला है सिन्धु
पीड़ाएं तन मन की हरती
चिड़िया से चहकी यह धरती
कुदरत रानी खिली हुई है
खिला हुआ नभ पर इंदु
खुली नहीं खिड़की दरवाजे बन्द है जीवन में बाधाएं किसको पसन्द है कालिख पुते चेहरे हुए अब गहरे है गद्य हुए मुखरित छंदों पर प्रतिबंध है मिली...
सुंदर सृजन
जवाब देंहटाएंसुंदर मनमोहक
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