गुरुवार, 19 नवंबर 2020

यादे रोशनदान

यादे घर का द्वार रही ,यादे रोशनदान
यादो में से झांक रहे खेत गाँव खलिहान

यादे छुक छुक रेल रही , यादे नैरोगेज
यादो में है कैद रही , बाबू जी की मेज

यादो में चल चित्र रहे , याद रहे कुछ मित्र
यादो में है महक रहे, खुशबू चन्दन इत्र

यादो में गुलजार रहा , अपनापन और प्यार
यादो में है दाद मिली , कविता का संसार

4 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 21 नवंबर 2020 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  2. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 22 नवंबर 2020 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं

न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज