भोलेपन को भूल गये , कैसा है दुर्योग
सीधा सच्चा धर्म कहा, सीधा सच्चा पथ
इतने बढ़ते स्वार्थ गये,करता क्या समरथ
ईश्वर होता व्यक्त नही , वह तो है अहसास
व्यक्ति से क्यो टूट रहा, व्यक्ति का विश्वास
सुख दुख में सामान्य रहा, पल पल है स्वीकार
उस पर होती ईश कृपा, उसकी जय जयकार
सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
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