किया जाए अन्त
स्नेह सद्भावना को
करे हम जीवन्त
टूट गई आशाओं को
एक विश्वास देकर
नई सम्भावना का
ले आए वसन्त
खुली हुई खिड़की
खुला हुआ नभ है
लिखी नव इबारत
जीवन तेरा तब है
कही दिखते पलकों पे
करुणा के आंसू
ऊंची हुईं मीनारें
नहीं दिखता रब है
करुणा और क्रंदन के गीत यहां आए है सिसकती हुई सांसे है रुदन करती मांए है दुल्हन की मेहंदी तक अभी तक सूख न पाई क्षत विक्षत लाशों में अपन...
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