वहीं रही सांसे
अपनो के सपनों को
कहा हम तलाशे
है मंदिर के अब तक
खुले नहीं पट है
तीर्थों पे प्रवचन
कथा में तमाशे
करुणा और क्रंदन के गीत यहां आए है सिसकती हुई सांसे है रुदन करती मांए है दुल्हन की मेहंदी तक अभी तक सूख न पाई क्षत विक्षत लाशों में अपन...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें