बुधवार, 12 फ़रवरी 2025

दुनिया थमी है

सरकता गगन है खिसकती जमीं है
कही आग दरिया कही कुछ नमी है
 कही नहीं दिखती  वह ईश्वरीय सत्ता 
पर उसी सहारे यह दुनिया थमी है


1 टिप्पणी:

कोई नया सा