शनिवार, 8 फ़रवरी 2025
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दुनिया थमी है
सरकता गगन है खिसकती जमीं है कही आग दरिया कही कुछ नमी है कही नहीं दिखती वह ईश्वरीय सत्ता पर उसी सहारे यह दुनिया थमी है
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जीवन में खुश रहना रखना मुस्कान सच मुच में कर्मों से होतीं की पहचान हृदय में रख लेना करुणा और पीर करुणा में मानवता होते भग...
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जिव्हा खोली कविता बोली कानो में मिश्री है घोली जीवन का सूनापन हरती भाव भरी शब्दो की टोली प्यार भरी भाषाए बोले जो भी मन...
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देखते हम ध्रुव तारा ब्रह्म है पर लोक प्यारा ज्योतिष में विज्ञान है अब चंद्र पर प्रज्ञान है देश अब आगे बढ़ा है चेतना के न...
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