खुली आंख से तू
सपने को बुन ले
सफल जिंदगी की
कोई राह चुन ले
बस किस्मत के दम पर
रहे मत भरोसे
बहा श्रम सीकर तू
शिखर को ही चूम ले
रहा गम जीवन में
हुई आंख नम है
गैरो का ज्यादा
मेरा दर्द कम है
है खुद का रखोगे
जीवन सीधा सादा
पूरा होगा सपना
बढ़ेंगे कदम है
जीवन की राह
चाहे मिले सुख है
न ग़म की परवाह
रहे चाहे पथ पर
कंकड़ और पत्थर
बिछे हुए कांटे
न निकली है आह
ग़मो का अंधेरा
अंधेरे की हद है
अंधेरों के आगे
जीवन में सुखद है
जिसे मिले पथ पर
पीड़ा और आंसू
बहा सपनों का दरिया
समन्दर वृहद है
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें