शनिवार, 8 फ़रवरी 2025

इंसाफ होगा

इन्हीं गर्मियों में है 
नगर साफ होगा 
बिजली का बिल भी 
यहां हाफ होगा 
दिए है सभी को 
चुनावी है वादे
टूटे कुछ घरों से 
इंसाफ होगा



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दुनिया थमी है

सरकता गगन है खिसकती जमीं है कही आग दरिया कही कुछ नमी है  कही नहीं दिखती  वह ईश्वरीय सत्ता  पर उसी सहारे यह दुनिया थमी है