शनिवार, 8 फ़रवरी 2025

इंसाफ होगा

इन्हीं गर्मियों में है 
नगर साफ होगा 
बिजली का बिल भी 
यहां हाफ होगा 
दिए है सभी को 
चुनावी है वादे
टूटे कुछ घरों से 
इंसाफ होगा



1 टिप्पणी:

अपनो को पाए है

करुणा और क्रंदन के  गीत यहां आए है  सिसकती हुई सांसे है  रुदन करती मांए है  दुल्हन की मेहंदी तक  अभी तक सूख न पाई क्षत विक्षत लाशों में  अपन...