बुधवार, 12 फ़रवरी 2025

पानी

पागल और प्रेमी है घायल है पानी 
हुआ दिल जला तो बादल है पानी
नदी बन चला तो ताजा है पानी
बना जब समन्दर तो खारा है पानी

आंखों के अन्दर है भावों का पानी
मिले नहीं मिलता अभावों का पानी
कही एक बूंद भी मिलती नहीं है
मरुथल में मिलता है मुश्किल से पानी

1 टिप्पणी:

अपनो को पाए है

करुणा और क्रंदन के  गीत यहां आए है  सिसकती हुई सांसे है  रुदन करती मांए है  दुल्हन की मेहंदी तक  अभी तक सूख न पाई क्षत विक्षत लाशों में  अपन...