पागल और प्रेमी है घायल है पानी
हुआ दिल जला तो बादल है पानी
नदी बन चला तो ताजा है पानी
बना जब समन्दर तो खारा है पानी
आंखों के अन्दर है भावों का पानी
मिले नहीं मिलता अभावों का पानी
कही एक बूंद भी मिलती नहीं है
मरुथल में मिलता है मुश्किल से पानी
सरकता गगन है खिसकती जमीं है कही आग दरिया कही कुछ नमी है कही नहीं दिखती वह ईश्वरीय सत्ता पर उसी सहारे यह दुनिया थमी है
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