पागल और प्रेमी है घायल है पानी
हुआ दिल जला तो बादल है पानी
नदी बन चला तो ताजा है पानी
बना जब समन्दर तो खारा है पानी
आंखों के अन्दर है भावों का पानी
मिले नहीं मिलता अभावों का पानी
कही एक बूंद भी मिलती नहीं है
मरुथल में मिलता है मुश्किल से पानी
करुणा और क्रंदन के गीत यहां आए है सिसकती हुई सांसे है रुदन करती मांए है दुल्हन की मेहंदी तक अभी तक सूख न पाई क्षत विक्षत लाशों में अपन...
सुन्दर
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