रविवार, 9 फ़रवरी 2025

जीवन है नदी का


जीवन है नदी का 
बहना है आया
किनारों से उसने
साथ लम्बा निभाया
गति में रही वह
तो बोली है कल छल
गहरी हुई वह
तो उथला जल पाया

समंदर से जीवन 
जीना है सीखो
लहरों के संग संग 
रहना है सीखो 
कठिन कुछ पल
ज्वार भाटे के जैसे 
उन्हीं मुश्किलों में 
तुम इतिहास लिखो

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दुनिया थमी है

सरकता गगन है खिसकती जमीं है कही आग दरिया कही कुछ नमी है  कही नहीं दिखती  वह ईश्वरीय सत्ता  पर उसी सहारे यह दुनिया थमी है