जीवन है नदी का
बहना है आया
किनारों से उसने
साथ लम्बा निभाया
गति में रही वह
तो बोली है कल छल
गहरी हुई वह
तो उथला जल पाया
समंदर से जीवन
जीना है सीखो
लहरों के संग संग
रहना है सीखो
कठिन कुछ पल
ज्वार भाटे के जैसे
उन्हीं मुश्किलों में
तुम इतिहास लिखो
करुणा और क्रंदन के गीत यहां आए है सिसकती हुई सांसे है रुदन करती मांए है दुल्हन की मेहंदी तक अभी तक सूख न पाई क्षत विक्षत लाशों में अपन...
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