शुक्रवार, 7 फ़रवरी 2025

समंदर

समंदर के अन्दर है
 कितने शिवाले
रहे रत्न सारे 
है उसने सम्हाले
समन्दर से अमृत
 समंदर बनो तुम
है अपने भीतर यह  
कई राज पाले 

समंदर में नदिया 
समंदर में सदिया
समंदर में पाई  है 
सुन्दर सी बगिया
कही इसके भीतर 
है हालात बदतर
है इसमें समाई
 जीवन की बतिया

दुखी है समंदर
 दुखी है किनारा
दुखी हुई धरती 
और जंगल सारा
दुखी हो के बादल 
बरसाता है जल 
दुखी ही बना है
 दुखी का सहारा

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दुनिया थमी है

सरकता गगन है खिसकती जमीं है कही आग दरिया कही कुछ नमी है  कही नहीं दिखती  वह ईश्वरीय सत्ता  पर उसी सहारे यह दुनिया थमी है