रविवार, 9 फ़रवरी 2025

योद्धा से दिखो


भरम जिंदगी में है जिसने है पाले 
लगे उसकी किस्मत पर बड़े बड़े ताले
कठिन वह पलो को अब कैसे सम्हाले
 मिले नहीं घर है , मिले न निवाले

पर्वत से विपदाए सहना है सीखो 
जड़ों से जुड़ो और जुड़ना है सीखो
 कितने हो दुर्दिन सूरज से उगो तुम
तमस से लड़ो तुम ,योद्धा से दिखो


रहे जिंदगी है  घनी छांव जैसी
सकून से भरी हो माहौल देशी 
  खबर हो खुशी की  सच्चे हो बच्चे 
नहीं करते हो उसकी ऐसी की तैसी

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दुनिया थमी है

सरकता गगन है खिसकती जमीं है कही आग दरिया कही कुछ नमी है  कही नहीं दिखती  वह ईश्वरीय सत्ता  पर उसी सहारे यह दुनिया थमी है