लगे उसकी किस्मत पर बड़े बड़े ताले
कठिन वह पलो को अब कैसे सम्हाले
मिले नहीं घर है , मिले न निवाले
पर्वत से विपदाए सहना है सीखो
जड़ों से जुड़ो और जुड़ना है सीखो
कितने हो दुर्दिन सूरज से उगो तुम
तमस से लड़ो तुम ,योद्धा से दिखो
रहे जिंदगी है घनी छांव जैसी
सकून से भरी हो माहौल देशी
खबर हो खुशी की सच्चे हो बच्चे
नहीं करते हो उसकी ऐसी की तैसी
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