मंगलवार, 20 अक्तूबर 2020

माँ के आशीष शाप बहे



आँसू से है पीर बही  आंसू की इक धार
माता की कुछ मांग रही ,माँ के है अधिकार

माता सब कुछ जान रही ,तू भी ले कुछ जान
सत के पथ से डिगा वही , जो होता बेईमान

माँ को अर्पित भाव रहे ,अर्पित है सब श्लोक
माँ के आशीष शाप बहे , पाप रहे न शोक

माता जी की ज्योत जली ,महकी मस्त पवन
चहकी चहकी खग की टोली, कर लो मंत्र हवन


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न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज