आँसू से है पीर बही आंसू की इक धार
माता की कुछ मांग रही ,माँ के है अधिकार
माता सब कुछ जान रही ,तू भी ले कुछ जान
सत के पथ से डिगा वही , जो होता बेईमान
माँ को अर्पित भाव रहे ,अर्पित है सब श्लोक
माँ के आशीष शाप बहे , पाप रहे न शोक
माता जी की ज्योत जली ,महकी मस्त पवन
चहकी चहकी खग की टोली, कर लो मंत्र हवन
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