जीवन मे विश्राम नही , जप लेना प्रभु राम
जब तब मिथ्या बोल रहा, झूठ न कर प्रतिवाद
बक बक से है नही मिला, माँ का आशीर्वाद
ये आंखे जो बोल रही , खोल रही है भेद
दूजे के ही दोष दिखे, ,दिखे न खुद के छेद
दुर्जन से वह दूर रहे , सज्जन के नजदीक
माँ दुर्गा की नीति यही , सत का पथ ही ठीक
सबके हित का ध्यान रखे , सज्जन को प्रश्रय
माता का तो भक्त रहा, सच्चा संत हृदय
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