रविवार, 18 अक्टूबर 2020

तेरे है गोविंद

माता निर्मल चित्त रही ,माता शुध्द विचार
माता जी नवरात रही ,माता जी दिन वार

माँ के सुख का ध्यान रखो ,माँ हर सुख की खान
माँ से शुभ आशीष मिला , जीवन का वरदान 

सब ग्रंथो से सार मिला, मोह माया निस्सार
माता से है मोक्ष मिला ,स्वर्ग न बारम्बार

माँ प्यारा एक बोल रही ,गाँठे मन की खोल
माँ से ही सीख पायेगा ,मीठे प्यारे बोल

माता का गुणगान करो, माता गुण की खान
हीरे मोती रत्न मिले , रत्नों की खदान

माताजी भूख प्यास रही , गहरी मीठी नींद
भूखा सो नहीं पायेगा ,तेरे है गोविंद

3 टिप्‍पणियां:

अपनो को पाए है

करुणा और क्रंदन के  गीत यहां आए है  सिसकती हुई सांसे है  रुदन करती मांए है  दुल्हन की मेहंदी तक  अभी तक सूख न पाई क्षत विक्षत लाशों में  अपन...