शुक्रवार, 2 अक्तूबर 2020

आधा है वह सत्य

आँखों से जो देख रहा ,आधा है वह सत्य 
सुनने पर भी यही मिले ,सच्चे झूठे तथ्य

कितना सारा प्यार मिला ,कितना सारा सुख 
मन फिर भी न तृप्त हुआ ,माता हैं सम्मुख

तन माटी का हमे मिला, मन अविनाशी शिव
चिंतित तू क्यो हो रहा ,विचलित क्यो है जीव

जिनके कारण सदा हुए ,भावो से अभिभूत
इतने क्यो है  रुष्ट हुए ,भारत माँ के पूत

मन हर्षित है हो रहा ,धर कर जिनका ध्यान
राम रूप भगवान मेरे, शिव शंकर हनुमान

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न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज