सुनने पर भी यही मिले ,सच्चे झूठे तथ्य
कितना सारा प्यार मिला ,कितना सारा सुख
मन फिर भी न तृप्त हुआ ,माता हैं सम्मुख
तन माटी का हमे मिला, मन अविनाशी शिव
चिंतित तू क्यो हो रहा ,विचलित क्यो है जीव
जिनके कारण सदा हुए ,भावो से अभिभूत
इतने क्यो है रुष्ट हुए ,भारत माँ के पूत
मन हर्षित है हो रहा ,धर कर जिनका ध्यान
राम रूप भगवान मेरे, शिव शंकर हनुमान
बहुत खूब
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