मेहनत पसीना बो रही ,सूखी है तकदीर
सोचो समझो जान लो ,फिर करना तुम बात
शब्दो का कुछ मूल्य रहा, महंगे है जज़्बात
पूरे न अरमान हुए ,फिर भी है जज़्बात
हर दिन के है साथ रही ,घनी अमावस रात
सबके अपने स्वार्थ रहे ,अपने अपने हित
परहित जीवन नही मिला ,मिली नही है प्रीत
छन्दों का यह देश रहा ऋषियों के उपदेश
अंतर्मन आनंद रहा सुरभित है परिवेश
सुन्दर
जवाब देंहटाएंसाभार नमन
जवाब देंहटाएंउत्तम
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