शनिवार, 24 अक्तूबर 2020

मिले नही जगदीश


अंतर्मन से दीप्त रहे , रखे न मन संशय 
माँ दुर्गा का भक्त वही , जो रहे सदा निर्भय

सबसे ही सम्वाद करे , करे न वाद विवाद
सबका ही वह प्रिय रहा, लेता सुख का स्वाद

माँ बहनों का मान रखे करे नही अपमान
सपने उनके सजे रहे , बचे रहे अरमान

जीवित मां का मान रहे , माता को मत तज
माता को जो छोड़ रहा ,होता जो निर्लज्ज

जीवन भर खूब कान किया , भज लेना अब ईश
जो भव में ही रमा रहा , मिले नही जगदीश

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न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज