अंकुरित बीज जड़ तने सीधे सच्चे लगते है
बना लो राहे और पगडंडिया कितनी भी
घनी छाया के बिन सारे रास्ते कच्चे लगते है
खुली नहीं खिड़की दरवाजे बन्द है जीवन में बाधाएं किसको पसन्द है कालिख पुते चेहरे हुए अब गहरे है गद्य हुए मुखरित छंदों पर प्रतिबंध है मिली...
जवाब देंहटाएंजय मां हाटेशवरी.......
आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
आप की इस रचना का लिंक भी......
11/10/2020 रविवार को......
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आप भी इस हलचल में. .....
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