उलझा उनका आज रहा
उलझा उनका कल
मिले जुले जब साथ चले
मिल जाते सब हल
सबके अपने भाव रहे
सबका अपना भव
सबके अपने अर्थ रहे
परिभाषा अभिनव
अपनो से वे दूर रहे
गैरो से वे पास
गैरो से भी नही मिला
किंचित भी विश्वास
मंजिल उसको नहीं मिली ,
जो चलता अनुकूल
चलता नाविक जीत रहा
धारा के प्रतिकूल
रावण में न धैर्य रहा
धीरज धरते राम
धीरज जिसने पाया है
बन जाते सब काम
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें