योगी के ही साथ रहे ,जीवन के सब श्रेय
नयनो से है बात हुई ,नयनो से जज्बात
जो नयनो से शून्य रहा, दिन भी उसके रात
दिल से दिल तक बात बढ़ी ,होते है संकेत
प्रियतम रास्ता देख रही , है नयनो में भेद
रोगों का आतंक रहा ,कोरोना एक रोग
कोरोना के साथ गया , लोगो का भय शोक
नयनो में विश्वास रहा ,नयनो में एक आस
नयनो से है लुका छिपी ,कुछ नयनो के दास
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 16 अक्टूबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसुन्दर
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