सोमवार, 12 अक्तूबर 2020

रिश्ते दिल के दर्द हरे

उनको न संतोष रहा, उनके भीतर रोष 
खुद को ही वे धन्य कहे, दूजे को दे दोष

रामायण में राम रहे ,गीता में भगवान 
ग्रंथो में कुछ मर्म रहा, उसको ले पहचान

दूब पर अब है ओंस ,पड़ी ठंडी हुई बयार
पंछी चहके खुले नयन, पैदल चलो सवार

सुबह से स्पर्श मिला, सूरज दे रफ्तार
अंधियारे को दूर करे उग उग के हर बार

जिससे सबको प्यार मिला ,पाया धन संसार
सिंह वाहिनी मां अम्बे , सुन ले मेरी पुकार

रिश्ते होते प्यार भरे ,रिश्ते है अनमोल 
रिश्ते दिल के दर्द हरे, मीठे मीठे बोल

2 टिप्‍पणियां:

न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज