अंकुरित बीज जड़ तने सीधे सच्चे लगते है
बना लो राहे और पगडंडिया कितनी भी
घनी छाया के बिन सारे रास्ते कच्चे लगते है
दीपक मन की पीर हरे हर ले असत तिमिर रोशन वह ईमान करे मजबूत करे जमीर पग पग पर संघर्ष करे सत्य करे न शोर वह मांगे कुछ और नहीं मांगे मन की भो...
जवाब देंहटाएंजय मां हाटेशवरी.......
आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
आप की इस रचना का लिंक भी......
11/10/2020 रविवार को......
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धन्यवाद